अंगूर का रस मिर्गी रोगी के लिये अत्यंत उपादेय उपचार माना गया है। आधा किलो अंगूर का रस निकालकर प्रात:काल खाली पेट लेना चाहिये।
रोजाना तुलसी के 20 पत्ते चबाकर खाने से रोग की गंभीरता में गिरावट देखी जाती है।
मिर्गी रोगी को 250 ग्राम बकरी के दूध पीने से दौरे बंद हो जाते हैं।
रोजाना तुलसी के 20 पत्ते चबाकर खाने से रोग की गंभीरता में गिरावट देखी जाती है।
तुलसी की पत्तियों के साथ कपूर सुंघाने से मिर्गी के रोगी को होश आ जाता है।
राई पीसकर चूर्ण बना लें। जब रोगी को दौरा पड़े तो सुंघा दें इससे रोगी की बेहोशी दूर हो जायगी।
तुलसी के पत्तों के रस में जरा सा सेंधा नमक मिलाकर 1 -1 बूंद नाक में टपकाने से मिरगी के रोगी को लाभ होता है।
मिरगी के रोगी को ज़रा सी हींग को निम्बू के साथ चूसने से लाभ होता है ।
मानसिक तनाव और शारिरिक अति श्रम रोगी के लिये नुकसान देह है। इनसे बचना जरूरी है।
No comments:
Post a Comment